एक गडरिये ( पाल ) का बेटा रोज अपनी भेड़ो को चराने के लिए जंगल में ले जाता था । उस गडरिये के पास 50 भेड़े थी । वह हर रोज अपनी भेड़ो को लेकर जंगल में निकल जाता था । वह अपनी भेड़ो का बहुत ही ध्यान रखता था । एक बार जंगल में उसकी एक भेड़ खो गई । अपनी एक भेड़ खो जाने पर वह उदास हो गया ।
वह अपनी 49 भेड़ो को बीच रास्ते में छोड़कर अपनी एक भेद की तलाश में पुनः जंगल की ओर निकल गया । उसने जंगल का एक -एक कोना चान मारा परन्तु उसे अपनी भेड़ नहीं मिली । उसने फिर भी हार नहीं मानी और अपनी खोई हुई भेड़ को ढूँढता ही रहा । काफी देर ढूँढने के बाद उसे अपनी भेड़ झाडी में बेठी हुई मिली । अपनी खोई हुई भेड़ को पाकर वह बहुत ही प्रसन्न हुई भेड़ को लेकर अपने गाँव की ओर लोट आया । उसके चेहरे पर प्रसन्नता का भाव देखकर गाँव वालो को बड़ी हैरानी हुई । गाँव वाले समझ रहे थे की गडरिया बड़ा मूर्ख है जो अपनी 49 भेड़ो को बीच रास्ते में छोड़कर केवल एक भेड़ ढूँढने के लिए जंगल में वापस गया । एक ग्रामीण ने उस पर क्रोध करते हुए कहा की तू रात भर 49 भेड़ो को छोड़कर एक भेड़ के लिए सुनसान जंगल में भागता रहा । तुझे इतना भी ध्यान नहीं रहा की तेरी 49 भेड़ो का क्या होगा ।
ग्रामीण की बात सुनकर सहज भाव से मुस्कराते हुए उसने कहा की श्रीमान मुझे पता था की मेरी सभी भेड़े समझदार है मुझे पता था की मेरी 49 भेड़े झुंड में होने के कारण आराम से अपने मार्ग पर चलते हुए घर सुरक्षित पहुच जायेंगी । इसलिए मुझे इन भेड़ो की जरा भी चिंता नहीं थी । मुझे तो केवल अपनी उस एक भेड़ की चिंता थी जो झुण्ड से बिछुड़ कर रास्ता भटक गई थी और न जाने कहा खो गयी थी । यह मेरा कर्त्तव्य था की में खोई हुई भेड़ को हर हालत में ढूँढकर लाऊं । और मेने अपनी महनत से आख़िरकार अपने समूह की पिछड़ी हुई भेड़ को पुनः अपने समूह में वापस ले लिया ।
आशय: इस बोधकथा से मुख्य आशय है की यदि कोई व्यक्ति किसी संगठन/ समूह को छोड़कर चला जाता है या बिछुड़ जाता है तो उसे पुन्ह: संगठन/ समूह में वापस लाने का कार्य करना चाहिए और उन कारणों का पता लगाना चाहिए कारणों के कारण उसने संगठन/ समूह छोड़ा है ।
वह अपनी 49 भेड़ो को बीच रास्ते में छोड़कर अपनी एक भेद की तलाश में पुनः जंगल की ओर निकल गया । उसने जंगल का एक -एक कोना चान मारा परन्तु उसे अपनी भेड़ नहीं मिली । उसने फिर भी हार नहीं मानी और अपनी खोई हुई भेड़ को ढूँढता ही रहा । काफी देर ढूँढने के बाद उसे अपनी भेड़ झाडी में बेठी हुई मिली । अपनी खोई हुई भेड़ को पाकर वह बहुत ही प्रसन्न हुई भेड़ को लेकर अपने गाँव की ओर लोट आया । उसके चेहरे पर प्रसन्नता का भाव देखकर गाँव वालो को बड़ी हैरानी हुई । गाँव वाले समझ रहे थे की गडरिया बड़ा मूर्ख है जो अपनी 49 भेड़ो को बीच रास्ते में छोड़कर केवल एक भेड़ ढूँढने के लिए जंगल में वापस गया । एक ग्रामीण ने उस पर क्रोध करते हुए कहा की तू रात भर 49 भेड़ो को छोड़कर एक भेड़ के लिए सुनसान जंगल में भागता रहा । तुझे इतना भी ध्यान नहीं रहा की तेरी 49 भेड़ो का क्या होगा ।
ग्रामीण की बात सुनकर सहज भाव से मुस्कराते हुए उसने कहा की श्रीमान मुझे पता था की मेरी सभी भेड़े समझदार है मुझे पता था की मेरी 49 भेड़े झुंड में होने के कारण आराम से अपने मार्ग पर चलते हुए घर सुरक्षित पहुच जायेंगी । इसलिए मुझे इन भेड़ो की जरा भी चिंता नहीं थी । मुझे तो केवल अपनी उस एक भेड़ की चिंता थी जो झुण्ड से बिछुड़ कर रास्ता भटक गई थी और न जाने कहा खो गयी थी । यह मेरा कर्त्तव्य था की में खोई हुई भेड़ को हर हालत में ढूँढकर लाऊं । और मेने अपनी महनत से आख़िरकार अपने समूह की पिछड़ी हुई भेड़ को पुनः अपने समूह में वापस ले लिया ।
आशय: इस बोधकथा से मुख्य आशय है की यदि कोई व्यक्ति किसी संगठन/ समूह को छोड़कर चला जाता है या बिछुड़ जाता है तो उसे पुन्ह: संगठन/ समूह में वापस लाने का कार्य करना चाहिए और उन कारणों का पता लगाना चाहिए कारणों के कारण उसने संगठन/ समूह छोड़ा है ।
Jai GAdaRiYa jai maa aHilya
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteजय गड़रिया एकता
ReplyDeleteSahi keh raho ho bhai hum tumare sath h
ReplyDeleteजय गड़रिया समाज की जय
अतिसुन्दर
ReplyDeleteGood information sir
ReplyDeleteJai gadariya samaj
DeleteVery nice baat kya baat hai Jai Pal smaj
ReplyDeleteJay gadriya smart
ReplyDeletegadriya
Good story
ReplyDeleteJai gadariya samaj
ReplyDeleteGood thought
ReplyDeleteGadriya ki jay ho
ReplyDeleteKapil baghel gadariya se aate h
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